मुझमे.. मेरी माँ नज़र आती है...
मेरे चेहरे में छिपा है मेरी माँ का चेहरा, मेरी आँखों में मेरी माँ की झलक नज़र आती है.. मेरी मुस्कराहट में छिपी है मेरी माँ की हसी, मेरे संस्कारों में मेरी माँ की परवरिश नज़र आती है.. मेरी आवाज़ में छिपी है मेरी माँ की मिठास, मेरे शब्दों में मेरी माँ की सादगी नज़र आती है.. मेरे प्यार में छिपा है मेरी माँ का दुलार, मेरे कर्मो में मेरी माँ की सीरत नज़र आती है.. जब मैं देखता हूँ आईने में खुद को , मुझको आईने में मेरी माँ नज़र आती है.. - ललित साहू